द व्हाइट टाइगर उपन्यास समीक्षा (The White Tiger Book Review Hindi)
एक महान साहित्यिक प्रतिभा का परिचय देते हुए अरविन्द अडिगा जी ने बहुत ही चतुराई, गहरे suspense और सही-गलत के सवालों के साथ The White Tiger उपन्यास में बहुत ही उतार-चढ़ाव से भरी दिल में उतर जाने वाली कहानी पेश किया है ।
The White Tiger का मुख्य पात्र बलराम हलवाई एक पेचीदा आदमी है। वह एक नौकर, दार्शनिक, उद्यमी और हत्यारा भी है। बलराम एक स्तब्ध कर देने वाली कहानी से बताता है कि वह कैसे अपनी जिंदगी में सफल होता है, जबकि उसके पास अपने आत्मविश्वास के सिवा और कुछ भी नहीं है।
भारत के एक गाँव में जन्मे बलराम के पिता एक रिक्शा चालक हैं, उसको स्कूल से निकाल दिया जाता है और चाय की दुकान पर काम करने के लिये लगा दिया जाता है। कोयले को तो़ड़ते हुए और टेबल पोंछते हुए वह वहाँ से भागने के सपने देखता है । उसे एक बड़ा मौका मिलता है, जब एक अमीर जमींदार उसे अपने बेटे, बहू और अपने दो पोमेरेनियन कुत्तों के लिए एक ड्राइवर के रूप में काम पर रखता है। उनकी होंडा सिटी कार से घूमते हुए, बलराम एक नई दुनिया देखता है। उनके साथ रहते हुए बलराम सीखता है कि माहौल को कैसे अपने पक्ष में करे, भ्रष्ट व्यवस्था से कैसे निपटें, और जॉनी वॉकर ब्लैक लेबल की बोतलों को Refill और Resell कैसे करें। वह देखना शुरू करता है कि “टाइगर” अपने पिंजरे से कैसे बच सकता है।
बलराम हमें सिखाता है2 कि धर्म हमें सद्गुण नहीं बनाता है, और पैसा हर समस्या को हल नहीं करता है – लेकिन एक भ्रष्ट दुनिया में शिष्टता अभी भी पाई जा सकती है, और आप वह पा सकते है जो आप पाना चाहते हैं अगर आप सही बातचीत पर ध्यान देते हैं ।
इस उपन्यास में ग्राम्य जीवन के अंधेरे से उद्यमशीलता की सफलता तक बलराम की यात्रा पूरी तरह से शानदार ढंग से कही गई है। यह उपन्यास गहराई से संपन्न और पूरी तरह से अविस्मरणीय है।
अरविंद अडिगा को द व्हाइट टाइगर के लिए £ 50000 का मैन बुकर पुरस्कार 2008 से सम्मानित किया गया।
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Some Beautiful Quotes from “The White Tiger”
“The story of a poor man’s life is written on his body, in a sharp pen.”
― Aravind Adiga, The White Tiger
“The moment you recognize what is beautiful in this world, you stop being a slave”
― Aravind Adiga, The White Tiger
“I was looking for the key for years
But the door was always open”
― Aravind Adiga, The White Tiger
“The dreams of the rich, and the dreams of the poor – they never overlap, do they?
See, the poor dream all their lives of getting enough to eat and looking like the rich. And what do the rich dream of?
Losing weight and looking like the poor.”
― Aravind Adiga, The White Tiger
“Let animals live like animals; let humans live like humans. That’s my whole philosophy in a sentence.”
― Aravind Adiga, The White Tiger
“A White Tiger keeps no friends. It’s too dangerous.”
― Aravind Adiga, The White Tiger
“Sometimes I wonder, Balram. I wonder what’s the point of living. I really wonder…’
The point of living? My heart pounded The point of your living is that if you die, who’s going to pay me three and a half thousand rupees a month? ”
― Aravind Adiga, The White Tiger
अरविन्द अडिगा
अरविंद अदिगा का जन्म 1974 में मद्रास (जिसे अब चेन्नई कहा जाता है) में हुआ था । उनकी शिक्षा न्यूयॉर्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय और मैगडेलन कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में हुई थी। उनके लेख द न्यू यॉर्कर, संडे टाइम्स, फाइनेंशियल टाइम्स और टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे प्रकाशनों में छपे हैं। उनके पहले उपन्यास, द व्हाइट टाइगर, ने 2008 में कथा के लिए मैन बुकर पुरस्कार जीता। उनकी किताब द स्टोरीज ऑफ द असैसिनेशंस की लघु कहानियों का संग्रह है । उनका दूसरा उपन्यास, लास्ट मैन इन द टॉवर, 2011 में प्रकाशित हुआ था। उनका उपन्यास, Selection Day, 2016 में प्रकाशित हुआ। उनका नया उपन्यास Amnesty 20 Feb, 2020 को प्रकाशित हुआ है।